इंदौर की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025
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इंदौर की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

क्या आप जानना चाहते हैं कि 2025 में इंदौर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा कब और कहाँ से निकलेगी? जानिए इस धार्मिक आयोजन की तारीख, मार्ग और दर्शनों से जुड़ी पूरी जानकारी।

इंदौर रथ यात्रा के बारे में

इंदौर में 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा 29 जून, रविवार को ISKCON द्वारा आयोजित की जाएगी। भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के बाद विशेष पूजा-विधियों के उपरांत यह यात्रा निकाली जाएगी।

जगन्नाथ रथ यात्रा इंदौर 2025: तारीख, समय और आयोजन स्थल

इंदौर में वर्ष 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा 29 जून, रविवार को आयोजित की जाएगी। यह तारीख मुख्य रूप से ISKCON इंदौर की ओर से घोषित की गई है, जहां भगवान जगन्नाथ “बीमार” बताए जाने के बाद पूजा-विधि और विशेष अनुष्ठानों के उपरांत यात्रा को पुनः शुरू किया जाएगा। पुरी रथ यात्रा: 27 जून, शुक्रवार इंदौर रथ यात्रा: 29 जून, रविवार द्वितीया तिथि प्रारंभ: 26 जून को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से द्वितीया तिथि समाप्त: 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक

इंदौर में रथ यात्रा - रूट और प्रमुख स्थान

यात्रा आमतौर पर दोपहर 1 बजे के करीब अन्नपूर्णा मंदिर से प्रारंभ होती है। इसके बाद रथ रंजीत हनुमान मंदिर, म्होवा नाका, मालगंज / मल्हारगंज और अंततः गोपाल मंदिर (राजवाड़ा क्षेत्र) तक जाता है। मार्ग में छत्रीबाग या सिलावटपुरा चौक जैसे प्रमुख चौराहे शामिल होते हैं, जहाँ भक्त गण रथ संचालन में भाग लेते हैं। रथ यात्रा में साधना, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण प्रमुख रूप से पूरे मार्ग में होते हैं। यात्रा का अंत गोपाल मंदिर के निकट होता है, जहाँ भगवान विश्राम करते हैं और बाद में बहुड़ा यात्रा के माध्यम से वापसी होती है।

इंदौर में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत कब और कैसे हुई?

इंदौर में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत लगभग दो दशक पहले ISKCON (इस्कॉन) संस्था के प्रयासों से हुई थी। पुरी की ऐतिहासिक रथ यात्रा से प्रेरणा लेकर इंदौर में इसे स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए सुलभ रूप में प्रारंभ किया गया।

इस यात्रा का उद्देश्य भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भक्ति को जन-जन तक पहुंचाना और समाज में धार्मिक चेतना को बढ़ाना था। शुरुआत में यह यात्रा सीमित स्तर पर होती थी, लेकिन समय के साथ इसमें श्रद्धालुओं की भागीदारी और जनजागरूकता इतनी बढ़ी कि यह इंदौर का एक प्रमुख वार्षिक धार्मिक आयोजन बन गया।

हर वर्ष यह यात्रा विशेष पूजा-अनुष्ठानों और परंपरागत विधियों के साथ निकाली जाती है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। आयोजन में रथ सजावट, भजन-कीर्तन, झांकियाँ और प्रसाद वितरण जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

आज यह आयोजन भव्यता से होता है। रथ की व्यवस्था, भजन-कीर्तन, झांकियाँ, प्रसाद वितरण और भक्तों की भागीदारी इसे स्थानीय संस्कृति का हिस्सा बना देती है।

इंदौर में जगन्नाथ रथ यात्रा में क्या‑क्या होता है? पूरी गतिविधियों की जानकारी

इंदौर की जगन्नाथ रथ यात्रा एक दिन का भव्य धार्मिक आयोजन होता है, जिसमें कई धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं। यह यात्रा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि समुदाय और सेवा भाव की एक अद्भुत मिसाल भी है।

यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों का विधिवत स्नान और श्रृंगार किया जाता है।

तीनों देवताओं को सुसज्जित रथों पर विराजित किया जाता है, जो फूलों, झंडों और पारंपरिक सजावट से सजे होते हैं।

रथ यात्रा की शुरुआत के समय “चेरा पहरा” रस्म निभाई जाती है, जिसमें आयोजनकर्ता प्रतीकात्मक रूप से मार्ग की सफाई करते हैं।

यात्रा मार्ग में जगह‑जगह भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़े और झांकियों की प्रस्तुति होती है।

रथ के साथ चलते हुए भक्तों में प्रसाद वितरण भी किया जाता है।

यह यात्रा अन्नपूर्णा मंदिर या छत्रीबाग मंदिर से शुरू होकर गोपाल मंदिर (राजवाड़ा) तक जाती है।

ISKCON और अन्य धार्मिक संस्थाएं मिलकर आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करती हैं।

पूरे आयोजन में हज़ारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और रथ खींचने का पुण्य प्राप्त करते हैं।

इंदौर रथ यात्रा में क्या प्रसाद मिलता है और कैसे प्राप्त करें?

इंदौर की जगन्नाथ रथ यात्रा में मिलने वाला प्रसाद आमतौर पर प्रसाद ट्रक या स्टॉल के माध्यम से वितरित किया जाता है। यहाँ विशेष रूप से निम्न प्रकार के प्रसाद की व्यवस्था रहती है:

छप्पन भोग-प्रेरित प्रसाद

पुरी की परंपरा से प्रेरित छप्पन भोग अर्थात् कई प्रकार के सात्विक व्यंजन जैसे खिचड़ी, लड्डू, खाजा, फलों आदि का प्रसाद भक्तों को उपलब्ध कराया जाता है।

स्थानीय प्रसाद स्टॉल

यात्रा मार्ग के किनारे आयोजक डंके या ट्रक्स से उड़द की खिचड़ी, फलों का मिश्रण और मिठाइयाँ बांटते हैं, जिसे भक्त रथ देखते हुए ग्रहण कर सकते हैं।

ISKCON या मंदिर-आधारित वितरण

ISKCON या अन्नपूर्णा मंदिर जैसे आयोजक स्थल पर भक्तों को प्रसाद की व्यवस्था की जाती है, जहाँ दर्शन पूरा करने के बाद भक्त प्रसाद ले सकते हैं।

सेवा-आधारित वितरण

कई सेवाभावी संगठन श्रद्धालुओं में प्रसाद बाँटते हैं, जिससे यात्रा का पुण्य हिस्सा हर व्यक्ति तक पहुंचता है।

कैसे प्राप्त करें?

रथ यात्रा मार्ग पर चलते हुए, श्रद्धालु प्रसाद ट्रक या स्टॉल पर रुककर ग्रहण कर सकते हैं।

आयोजक मंदिरों और योगेंद्र संस्थाओं (जैसे ISKCON) में दर्शन के बाद सिस्टम के तहत प्रसाद वितरित किया जाता है।

सेवाभावी समूहों द्वारा हाथ से या बर्तन में प्रसाद भक्तों को दिया जाता है।

भक्तों के लिए जरूरी दिशा-निर्देश 

  • समय से पहले स्थल पर पहुँचें (कम से कम 30 मिनट पहले)

  • रथ मार्ग में अनुशासन और पुलिस निर्देशों का पालन करें

  • रास्ते में कचरा न फैलाएं, स्वच्छता बनाए रखें

  • बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें

  • प्रसाद सिर्फ अधिकृत स्थानों से ही लें

  • पानी और जरूरी दवाएं साथ रखें

  • भीड़ में धक्का-मुक्की न करें

  • नशा या तेज ध्वनि वाले उपकरणों से बचें

  • शांति और श्रद्धा बनाए रखें

निष्कर्ष

इंदौर की जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल भक्ति और परंपरा का उत्सव है, बल्कि एक ऐसा अवसर भी है जहाँ श्रद्धा, सेवा और अनुशासन साथ चलते हैं। दिशा-निर्देशों का पालन करके हर भक्त इस आयोजन का पूर्ण आनंद और पुण्य प्राप्त कर सकता है।

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Published by Sri Mandir·June 26, 2025

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